मनरी की गूंज एवं पुजारी की चिंघाड़ से मेले का हुआ समापन, आधुनिक विज्ञान को चुनौती देता है बेचूबीर मेला।
मनरी की गूंज एवं पुजारी की चिंघाड़ से मेले का हुआ समापन, आधुनिक विज्ञान को चुनौती देता है बेचूबीर मेला।
जिला ब्यूरो चीफ अंजनी मिश्र (शुभम् पण्डित)
अहरौरा, मीरजापुर / मनरी ने थाप लगाई, उसकी गूंज ने जनमानस की तंद्रा भंग की और महिला और पुरुष भक्तों के नयन सजल हो गए। अहरौरा बेचुवीर बाबा की चौरी पर टकटकी लगाए दर्शालुओं के आंखों से अश्रूधारा बहने लगी। पुजारी की चिंघाड़ से एक अजीब सी आवाज ने वातावरण को आगोश में ले लिया। यह हाल मेले की महानिशा की रही, जहां शनिवार की मध्य रात्रि में घड़ी की सूई ने एक-दूसरे को छुआ तो तीन किमी क्षेत्र में फैले मेले का कोलाहल थम सा गया। श्रद्धालु चौरी की तरफ बढ़ने लगे और हजारों भक्तों की आंखें बाबा की चौरी पर टिक गई।
अंतर प्रांतीय स्तर पर जंगलों एवं पहाड़ों के गर्भ में बसे बरही नामक ग्राम स्थित बाबा बेचुवीर का तीन दिवसीय मेले का समापन रविवार की सुबह यानी भोर में मनरी बजने के साथ ही हो गया। बाबा की चौरी पर तीन दिनों तक संतान प्राप्ति, भूतप्रेत बाधाओं के निवारण एवं असाध्य रोगों से ग्रसित दर्शनार्थियों ने मत्था टेका। मेला क्षेत्र में अंधविश्वास पर विश्वास का प्रकाश पुंज हावी रहा। एकादशी तिथि को मध्य रात्रि बाद वातावरण में छाई खामोशी को मनरी नामक वाद्य यंत्र ने भंग किया। मनरी की थाप और पुजारी की चिंघाड़ ने बरबस ही हजारों लोगों को चौरी की तरफ आकर्षित कर दिया और कोलाहल का मंजर थम गया। जैसे लगा कि मेले में आए भक्तों को अब कोई पीड़ा ही नहीं है। प्रसाद के रूप में पुजारी द्वारा चावल रूपी अक्षत को वितरण करते ही श्रद्धालुओं में उसे पा लेने की होड़ सी मच गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल लगाई गई थी। बावजूद इसके, अफरातफरी का माहौल रहा। आंखों में अभिलाषा और
चेहरे पर सुख-पीड़ा भाव को लिए हुए दर्शनार्थी भावविभोर हो गए। विशाल मेले का आश्चर्यजनक पहलू यह रहा कि हजारों की संख्या में महिलाएं भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए बाबा बेचूबीर की चौरी के सामने जमीन पर दो अगरबत्ती जलाकर ध्यान-मग्न होती रहीं।
विज्ञान को चुनौती देता है बेचूबीर मेला
विज्ञान और चिकित्सा के लिए चुनौती है। अब इसे अंधविश्वास कहे या फिर आस्था लेकिन लोगों का मानना है कि यहां आने से तथाकथित भूत, प्रेत, चुरेल से मुक्ति मिलती है। यहीं नहीं गंभीर बीमारी मुक्ति या जिनको संतान नही है, उन्हे संतान की भी प्राप्ति होती है। तीन दिवसीय इस मेले में बिहार, बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, सहित उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चन्दौली, बनारस, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, प्रयागराज सहित अन्य प्रांतों से लोग आते है। थाना प्रभारी निरीक्षक सदानंद सिंह द्वारा बेचूबीर मेले में भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं और मेले क्षेत्र को दो सेक्टरों में बांटकर ऐतिहासिक बेचूबीर मेला को सम्पन्न कराया।
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